गुरुवार, 29 मार्च 2018

बोझ की मार

आज शिक्षा का स्तर दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं।उसी तरह स्कूल बैग का बोझ भी बढ़ रहा हैं। छोटे -छोटे बच्चे रोज अपनी क्षमता से ज्यादा भारी बैग ले जाने के लिए विवश हैं। शिक्षा जो कि सभी के लिए जरूरी हैं। वही भारतीय शिक्षा प्रणाली मे नयापन होने की आवश्यकता है।भारत में कानून तो बना है कि सी०बी०एस०ई० के अनुसार दूसरी कक्षा तक के बच्चो के बैग स्कूल मे ही रहने चाहिए ।लेकिन कोई भी स्कूल इसका पालन करता दिखाई नही देता। बच्चों के स्कूल बैग जो रोज भारी - भरकम  किताबो से भरे रहते हैं वो बच्चों के स्वास्थ्य पर भी सवाल उठाता है ? भारी भरकम बैग के कारण बच्चों की पीठ में दर्द व कमर झुकना एक आम बात सी प्रतीत होती दिखाई देती है। न जाने कितनी बार प्रशासन और स्कूल ने स्कूल बैग के वजन कम करने के वादे करें हैं लेकिन कोई भी इसे सहजता के साथ लेने को तैयार नही हैं। जब नया सत्र शुरू होगा फिर इसे मुद्दा बनाया जाएगा और फिर इस पर राजनीति होगी और बाद मे फिर बच्चे भारी बैग लेकर स्कूल जाएगे।

शिवानी त्यागी

3 टिप्‍पणियां:

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