सोमवार, 5 अक्टूबर 2020

सरकारी स्कूल

 जब भी कभी हम सरकारी स्कूल के बारे में सुनते हैं तो हमारे दिमाग में छवि बनती है टूटे हुए डेस्क , अध्यापक नहीं है , बच्चे इधर - उधर घूम रहे हैं , पढ़ाई का कोई सिस्टम नहीं है । ऐसा हमारे दिमाग में इसलिए आता है क्योंकि हमारे मन में सरकारी स्कूल की यही छवि बनाई गई है , चाहे टेलीविजन में हो , अखबार में या कहीं भी। हमारे सामने सरकारी स्कूल को दिखाना होता है तो इसी तरह के चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किए जाते हैं। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है । जो भी बेहतरीन सितारे हैं देश में या विदेश में जो भारत का नाम रोशन कर रहे हैं । वो सरकारी स्कूल से ही निकल कर आए हैं । उदाहरण के तौर पर 2019 की यूपीएससी की परीक्षा में रैंक 56 हासिल करने वाले पंकज यादव ने अपनी पूरी शिक्षा सरकारी स्कूल से ही प्राप्त की है । ये सरकारी स्कूल का वो चमकता सितारा है जो अब पूरी दुनिया को रोशन कर रहा है ।

सरकारी स्कूलों के बारे में हम इतनी नकारात्मक कहानियां सुन चुके है कि हमारे मन में सरकारी स्कूलों ,वहां के शिक्षकों और बच्चों के बारे में वो छवि निर्मित कर चुके हैं जिसे बदलना अब बहुत जरूरी हो गया है । 
सरकारी स्कूल की इसी नकारात्मक छवि को बदलने के लिए सरकारी स्कूल डॉट इन के द्वारा यह पहल की गई  । जिसका प्रयास सरकारी स्कूल की नकारात्मक छवि को बदलना है । सरकारी स्कूल डॉट इन का उद्देश्य उन लोगों की सोच को प्रभावित करना है जो सरकारी स्कूल के वातावरण को गलत बताते हैं।
 हिंदुस्तान का भविष्य देश के उन 11 लाख सरकारी विद्यालयों में तैयार हो रहा है जहां 14 करोड़ बच्चे व 50 लाख शिक्षक हैं यह विद्यालय अभाव ,चुनौतियों के बीच भी पुरजोर मेहनत करने और कुछ बनकर देश के लिए जीने मरने का स्वप्र सजाते हैं ।
सरकारी स्कूल डॉट इन एक ऐसा मंच है जो सरकारी स्कूलों और उसके समर्थकों से गहराई से जुड़ा हुआ है यह एक विस्तृत क्षेत्र को शामिल करता है जो मुख्य रूप से पांच विषयों पर आधारित है - संभव है , गोल्ड इज नेवर ओल्ड , साथी सरकारी स्कूल के , शिक्षा समिति , मीट विद आइकन  ।
यह विषय उन सभी दिशाओं में सम्मिलित है जहां सरकारी स्कूल ने खुद को समृद्ध किया है और यह साबित करने के लिए पर्याप्त सक्षम है कि यह सब भी के बीच सबसे अच्छा है । 
सरकारी स्कूल डॉट इन अब तक 170 से ज्यादा प्रेरणादायक टीचर के साथ इंटरव्यू कर चुका है । 20 से ज्यादा जिला स्तरीय टीचर को इनविटेशन। समय-समय पर बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित कराता है , साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के अध्यापक भी इस तरह की प्रतियोगिता में शामिल होते हैं जिसमें कहानी बुनना , काव्य गोष्ठी आदि है ।  इसके साथ ही ऑनलाइन गोष्टी, जूम मीटिंग, वेबिनार व अलग-अलग सेशन के माध्यम से भी शिक्षकों के साथ जुड़ा जाता है । जो शिक्षक अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं , उन्हें सम्मानित किया जाता है तथा उनके अनुभव जाने जाते हैं ताकि उनसे प्रेरणा ली जा सके । 

सरकारी स्कूल एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो इन महान व्यक्तित्व उनके जबरदस्त काम को प्रकाशित करता है ।  इन गतिविधियों को कभी भी टीवी या किसी मीडिया कवरेज पर नहीं दिखाया जाता है लेकिन आज दुनिया भर में ऐसी संदेश को चलाना महत्वपूर्ण लगता है कि समाज के उपेक्षित वर्ग को ध्यान देने की जरूरत है उनके पास गरीबी के ढेर और विकल्पों के तहत कुछ सच्चे कलाकार हैं । सरकारी स्कूल डॉट इन समय-समय पर बच्चों अध्यापक के उत्थान के लिए कार्य करता है साथ ही जो अध्यापक अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम करें उन को सम्मानित करता है । सरकारी स्कूल डॉट इन का प्रयास यही है कि जो बेहतरीन कार्य कर रहे हैं और सम्मान के अधिकारी हैं उनको पूर्ण सम्मान मिले तथा जो बच्चे एक वंचित समाज से आते हैं उनका उत्थान हो और हर वह शिक्षा मिले जिसके वो अधिकारी हैं । 
सरकारी स्कूल  वास्तव में ऐसे स्कूल हैं जो समाज के सबसे जरूरतमंद लोगों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं। यही बात सरकारी स्कूलों के बारे में सबसे अच्छी बात है । सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले ऐसे शिक्षकों का शुक्रगुजार होना चाहिए जो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने काम को पूरी लगन और मेहनत के साथ काम कर रहे हैं। नकारात्मक विचारों को भाव न देकर, काम के सकारात्मक असर और खुशी को लोगों के साथ साझा कर रहे हैं।  इन्हीं को प्रेरित करता है सरकारी स्कूल डॉट इन।
शिवानी त्यागी


शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

एबीपी न्यूज़ वेब पोर्टल का अध्ययन।
April 25, 2019

शिवानी त्यागी



रोल नंबर-2351/17




कोर्स-हिंदी पत्रकारिता एवं     

        जनसंचार



विषय-न्यू मीडिया










वेब पोर्टल

पोर्टल इंटरनेट और विश्वव्यापी वेब के संदर्भ में जालस्थलों (वेबसाइट्स) के समूह को कहा जाता है। पोर्टल का शाब्दिक अर्थ होता है प्रवेशद्वार। एक पोर्टल वास्तव में स्वयं भी एक जालस्थल होता है, जिससे दूसरे कई अन्य संबंधित जालस्थलों पर पहुंचा जा सकता है। इंटरनेट से जुड़ने पर कई प्रकार के पोर्टल मिलते हैं। ये अंतर्जाल के अथाह सागर में एक लंगर की तरह काम करता है। इन पर विभिन्न स्त्रोतों से जानकारियां जुटाकर व्यवस्थित रूप में उपलब्ध करायी जाती हैं। इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती हैं, जैसे कई पोर्टल पर उपयोक्ताओं को सर्च इंजन उपलब्ध कराया जाता है, इसके अलावा, कम्युनिटी चैट फोरम, निजी गृह-पृष्ठ (होम पेज) और ईमेल की सुविधाएं भी दी गई होती हैं। पोर्टल पर समाचार, स्टॉक मूल्य और फिल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं। कुछ सार्वजनिक वेब पोर्टलों के उदाहरण हैं: एओएल, आईगूगल, एमएसएन, याहू आदि।
ऐतिहासिक रूप में पोर्टल का प्रयोग किसी द्वार, इमारत या अन्य संरचना के मुख द्वार रूप में किया जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ था वहां प्रवेश करने के लिए एक प्रभावी मार्ग। मोटे तौर पर वेब पोर्टल उपयोक्ताओं को आधारभूत जानकारी उपलब्ध कराता है। साथ ही इसके माध्यम से विभिन्न अन्य साइट्स तक पहुंच सकते हैं। एक विशेष सुविधा यह है कि एक पोर्टल पर उपयोक्ता अपना स्वयं का कैलेंडर तैयार कर सकते हैं और महत्वपूर्ण अवसरों के लिए अनुस्मारक (रिमाइंडर) भी बना सकते हैं। उपयोक्ता अपना पोर्टल तैयार कर उसमें अपनी रुचियों, कार्य, यात्राओं आदि के बारे में भी पाठ को पृथक-पृथक रूप में डाल सकते हैं। इसी तरह प्रशासन नागरिकों को अपने पोर्टल के माध्यम से मौसम की जानकारी उपलब्ध करा सकता है। साथ ही उसमें वहां की खबरें और शेष सरकारी जानकारी भी हो सकती हैं।



प्रकार
कुछ पोर्टल्स रोजगार, शिक्षा और नागरिक सुरक्षा की सूचना भी देते हैं। निगमित पोर्टल्स भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। किसी निगम के वेब पोर्टल पर उसके कर्मचारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए स्वयंसेवा से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी दी जाती है। इसमें काम करने वाले लोग पोर्टल से अपने लिए आवश्यक सूचनाएं जैसे, वेतन, प्रतिपूरक सुविधाएं, नोटिस और अन्य जानकारी के बारे में जान सकते हैं जबकि उपभोक्ता कंपनी की नई परियोजनाओं. उसके नए कार्य भुगतान का इतिहास आदि के बारे में जान सकते हैं।


वेब दुनिया में विषयों को लेकर विभिन्नता और अनेक  वेब पोर्टल के मुकाबले अधिक देखने को मिलती है इसके पाठको को सारी खबरें चाहें वो आईपीएल से जुड़ी हो , बॉलीवुड से हो या लोकसभा  चुनाव की सभी एक जगह आसानी से मिल जाती है ।

पाठकों को अलग -अलग खबरों में अपनी रुची के अनुसार रुझान देखने को मिलता है और इसकी पूर्ति वेब दुनिया अकेले करने में कामयाब है । पाठक को अलग अलग विषयों  से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए अनेक वेबसाइटों और पोर्टल पर भटकना नहीं पढ़ता। यह खासियत ही इसे औरों से अलग बनाती है ।

समाचार - वेब दुनियां में विषयों के बंटवारे को लेकर समाचार का पहला स्थान है ।समाचारों को अलग -अलग  उनके महत्व के आधार पर बांटा गया है। जैसे - मुख्य खबरें , राष्ट्रीय खबरें ,अंतरराष्ट्रीय खबरें ,प्रादेशिक, # मीटू , मध्यप्रदेश,  उत्तर प्रदेश, क्राइम, वेब वायरल ,शेयर बाजार , व्यापार , मोबाइल मेनिया। इन सभी से जुड़ी खबरे पाठकों को समाचार के कॉलम में नियमित रुप से पढ़ने को मिलती है।

ज्योतिष- दूसरा विषय ज्योतिष है । जिसकी शुरुआत लोगों की रुचि के आधार पर की गई है। इसके अंदर ज्योतिष 2019,  आज का जन्मदिन, आज का महूर्त, दैनिक राशिफल, लाल किताब, तंत्र मंत्र यंत्र वास्तु फेंगशुरु , नक्षत्र , नवग्रह और आदि सभी ज्योतिष से जुड़े विषय शामिल है।

बॉलीवुड- बॉलीवुड जिसमें फिल्मी सितारों से जुड़ी हर खबर लोगों को आसानी से मिल जाती है मिर्च मसाला से लेकर , मूवी रिव्यू , आने वाली फिल्मों की तारीखें, बॉलीवुड 2018 , टीवी, मुलाकात, के अलावा सलमान और शाहरुख के बारे में सारी खबरें इस पेज में मिलती है।

लोकसभा चुनाव- 2019 लोकसभा चुनावों पर इस समय  सभी की नजर टकटकी लगाकर टिकीं हुई है। वेब दुनिया पर चुनावों के मद्देनजर समाचार, खास खबरें , साक्षात्कार, लोकसभा क्षेत्र , भारत के प्रधानमंत्री , रोचक तथ्य , राजनीतिक दल जैसे विषयों पर खास रिपोर्टिंग की थाती है।

आईपीएल 2019 - क्रिकेट लवर आईपीएल कैसे छोड़ सकते हैं इसलिए वेब दुनिया में इसके लिए अलग सुविधा दी जाती । जिसमें सिर्फ आईपीएल से जुड़ी खबरें ही दिखाई जातीं  है। आईपीएल विशेष, रोचक तथ्य, आईपीसी समाचार, इतिहास और आदि इसी से जुड़े विषय है।


इसी तरह मेरा ब्लॉग, क्रिकेट, रोचक  रोमांचक, प्रचलित, धर्म संसार , सेहत , लाइफ स्टाइल, फनी जोक्स , महाभारत, रामायण, # मीटू , वीडियो, सामयिक, फोटो गैलरी, प्रोफेशनल कोर्स और अन्य के अलग पेज इस वेब पोर्टल पर उपलब्ध है जिससे अलग - अलग विषयों की खबरें रखनें के लिए पाठक को भटकना नहीं पड़ता । उसे सारी खबरें एक ही जगह मिल जाती है । जो वेब दुनिया को और खास बना देता।





एबीपी न्यूज़ एबीपी समूह के स्वामित्व वाला एक भारतीय समाचार चैनल है। यह चैनल पहले स्टार न्यूज़ के नाम से जाना जाता था जो स्टार टीवी के स्वामित्व में प्रदर्शित होता था।

स्टार न्यूज़ का प्रदर्शन फरवरी 1998 को आरम्भ हुआ था। 2003 से यह एक पूर्ण हिन्दी भाषीय चैनल बन गया। यह एक पहला द्विभाषिक (हिन्दी – अंग्रेजी) समाचार सेवा प्रदान करने वाला चैनल था। 2003 ई° तक यह स्टार टीवी के नेतृत्व में तथा एनडीटीवी के निर्देशन में प्रसारित होता था। परन्तु 2003 में एनडीटीवी से समझौता खत्म होने के बाद स्टार टीवी द्वारा इसे एक पूर्ण हिन्दी भाषीय चैनल पर स्थानान्तरित कर दिया गया। 16 अप्रैल 2012 को एबीपी समूह ने स्टार टीवी से समझौता रद्द होने के बाद स्टार न्यूज़ को एबीपी न्यूज़ बना दिया।


एबीपी न्यूज़ का अध्ययन-

आज के इस इंटरनेट युग में हर किसी में सबसे पहले समाचार,जनता तक पहुँचाने की होड़ है।इंटरनेट की पहुँच को देखते हुए एबीपी को भी ऑनलाइन होना पड़ा और अब abpnews.abplive.in पर विभिन्न क्षेत्रों की सारी खबरें मिल जाती हैं।

एबीपी का अध्ययन निम्नलिखित आधारों पर किया गया है-



रूपरेखा-
abpnews.abplive.in पर क्लिक करते ही सबसे पहले हमें एक विज्ञापन दिखाई देता है ।यह विज्ञापन किसी भी प्रकार से जनसत्ता समाचार से संबंधित नहीं है बल्कि एक तरीके का वर्गीकृत विज्ञापन है। इसके बाद खबरें दिखाई देती है। यह 4 खबरें होती हैं जो एक प्रकार से उस समय की सबसे ज्यादा रोचक एवं महत्वपूर्ण खबरें होती हैं।

एबीपी एक न्यूज़ पोर्टल है, इसलिए इस वेब पोर्टल पर ज्यादातर समाचार ही प्रकाशित किए जाते हैं। दूसरे सभी न्यूज वेब पोर्टलों की ही तरह इस पर भी समय-समय पर समाचारों को प्रकाशित किया जाता है, लेकिन यह वेब पोर्टल बाकी सब से फिर भी अलग है। भले ही इस पर प्रकाशित होने वाली सामग्री देश और दुनिया की ख़बरें ही हैं, किंतु उन्हें प्रकाशित करने का एबीपी का तरीका दूसरे सभी वेब पोर्टलों से बिल्कुल भिन्न है। एबीपी पर निम्नलिखित श्रेणियों में समाचारों का प्रकाशन किया जाता है:-


ताजा खबरें


भारत


विश्व


बॉलीवुड


खेल


लोकसभा चुनाव 2019



क्रिकेट


टेलीविज़न



गैजेट


बिज़नेस


अन्य प्रदेश

कुछ खबरों संक्षिप्त वर्णन

समाचार - वेब दुनियां में विषयों के बंटवारे को लेकर समाचार का पहला स्थान है ।समाचारों को अलग -अलग  उनके महत्व के आधार पर बांटा गया है। जैसे - मुख्य खबरें , राष्ट्रीय खबरें ,अंतरराष्ट्रीय खबरें ,प्रादेशिक, # मीटू , मध्यप्रदेश,  उत्तर प्रदेश, क्राइम, वेब वायरल ,शेयर बाजार , व्यापार , मोबाइल मेनिया। इन सभी से जुड़ी खबरे पाठकों को समाचार के कॉलम में नियमित रुप से पढ़ने को मिलती है।

ज्योतिष- दूसरा विषय ज्योतिष है । जिसकी शुरुआत लोगों की रुचि के आधार पर की गई है। इसके अंदर ज्योतिष 2019,  आज का जन्मदिन, आज का महूर्त, दैनिक राशिफल, लाल किताब, तंत्र मंत्र यंत्र वास्तु फेंगशुरु , नक्षत्र , नवग्रह और आदि सभी ज्योतिष से जुड़े विषय शामिल है।

बॉलीवुड- बॉलीवुड जिसमें फिल्मी सितारों से जुड़ी हर खबर लोगों को आसानी से मिल जाती है मिर्च मसाला से लेकर , मूवी रिव्यू , आने वाली फिल्मों की तारीखें, बॉलीवुड 2018 , टीवी, मुलाकात, के अलावा सलमान और शाहरुख के बारे में सारी खबरें इस पेज में मिलती है।

लोकसभा चुनाव- 2019 लोकसभा चुनावों पर इस समय  सभी की नजर टकटकी लगाकर टिकीं हुई है। वेब दुनिया पर चुनावों के मद्देनजर समाचार, खास खबरें , साक्षात्कार, लोकसभा क्षेत्र , भारत के प्रधानमंत्री , रोचक तथ्य , राजनीतिक दल
आदि ।


इसके साथ ही एबीपी न्यूज़ हमें खबरें पढ़ने के लिए छह प्रकार की भाषाएं भी देता है। जिनमें हिंदी ,अंग्रेजी ,तमिल ,मलयालम, बांग्ला ,मराठी शामिल हैं।

एबीपी न्यूज़  के मुखपृष्ठ पर चार बड़ी खबरों के बाद मुख्य खबर का मेन्यू आता है। “मुख्य खबर” एक प्रकार से हेडिंग होती है जिसके अंदर विभिन्न प्रकार की खबरें होती है ।





इसके बाद “आज की हर खबर यहां” नाम के मेन्यू में उस दिन की सारी बड़ी खबरें होती हैं। यह खबरें भी हर क्षेत्र से होती हैं और ऐसी होती हैं जिनमें हर वर्ग का इंटरेस्ट होता है।




फ़ोटो
इसके बाद फोटो गैलरी आती है। जिसमें फोटो और खबर भी होती है। फोटो गैलरी में एक प्रकार से फोटो को ज्यादा वरीयता दी जाती है या हम कह सकते हैं कि फोटो के माध्यम से किसी खबर को समझाने की कोशिश की जाती है।




देश की खबर

इसके बाद “भारत” की खबरें होती हैं। इनमें उन खबरों को रखा जाता है जिनका संबंध राष्ट्र के हर एक व्यक्ति, हर एक राज्य से होता है। अभी चुनाव आने वाले हैं इसलिए मेन्यू में ज्यादातर चुनाव की खबरें नजर आती है।



क्रिकेट
इसके बाद “क्रिकेट” नाम के मेन्यू में क्रिकेट से संबंधित खबरें आती हैं।अभी आईपीएल चल रहा है इसलिए इस सेक्शन में आईपीएल की खबरें ही ज्यादातर है और इस सेक्शन के नाम से जो कि “क्रिकेट” है,से पता चलता है कि भारत में  क्रिकेट देखने वालों की,समझने वालों की तादात राष्ट्रीय खेल “हॉकी” से कहीं अधिक है।
क्रिकेट से जुड़ी खबर इस कॉलम में प्रकाशित होती हैं। यह कॉलम खेल जगत की किसी विशेष शख्सियत के बारे में जानकारी देने का काम भी करता है। बहुत से लोग खेलों की खबरों को जानने के इच्छुक  हैं, यह कॉलम उन्हीं लोगों के लिए विशेष तौर पर बनाया गया है। देश के साथ साथ विदेशों की जानकारियाँ भी देने का काम करता है। क्रिकेट से जुड़ी तमाम जानकारियाँ आपको इस कॉलम में मिल जाएंगी।





विश्व
इसके बाद “विश्व”नाम के मेन्यू में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खबरें होती हैं। यह खबरें मजेदार होने के साथ-साथ रोचक होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भी होती है।
विश्व नाम के इस कॉलम में दुनिया की तमाम खबरों के बारे में जानकारियाँ देता है। इस कॉलम के अंतर्गत आने वाली सभी ख़बरें देश से बाहर की होती हैं, इस कॉलम में विशेष तौर पर विदेशों की खबरों को दिया जाता है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस कॉलम में प्रकाशित होने वाली सभी ख़बरें विदेशों में होने वाली गतिविधियों और घटनाओं का ब्यौरा

लाइफस्टाइल सेक्शन के अंतर्गत जीवन को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं,अपने शरीर को किस प्रकार से मेंटेन कर सकते हैं ।इसके बारे में बताया जाता है। “ हेल्थ” नाम का मेनू भी आता है,जिसमें अन्य तरह की हल्की खबरें होती है ।जैसे कि खुलकर हंसने के कितने फायदे होते हैं।
एबीपी के पोर्टल में इस विषय से संबंधित पेज भी होता हैं जिसमें रहन सहन से संबंधित ख़बरे दी जाती हैं।रोजमर्रा के जीवन में होने वाली गतिविधियों का सम्बंध इस पेज से होता हैं।क्योंकि इसको पड़ने से आप सूचित हो जाते है की किस प्रकार की दिनचर्या का प्रयोग हमें करना चाहिए । हम जान सकते हैं कि कैसी ख़बरे इसमे आती हैं जैसे:खाली पेट सोना हो सकता है खतरनाक ,इन बीमारियों का खतरा।नाश्ता नही करने से हो सकता है,सेहत को नुकसान।



कंटेंट -

कंटेंट के स्तर पर बात की जाए तो एबीपी न्यूज़ पोर्टल हर बात को ,हर खबर को बहुत सही ढंग से प्रस्तुत करता है।हर खबर को पूरे विस्तार के साथ आसान भाषा में बताया जाता है।किसी भी समाचार स्त्रोत के लिए ज़रूरी है कि वह खबरों को सही ढंग से प्रस्तुत करे।उसमें किसी भी प्रकार की कोई अधूरी बात न हो।

 एबीपी न्यूज़ पोर्टल खबर को स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करता है।अगर कोई खबर फॉलोअप की जा रही है तो उस खबर को फिर से बताया जाता है।

एक खबर में जितने भी गुण होने चाहिए,वो सब abp.abplive.in में होते हैं।जनसत्ता निष्पक्ष रूप से ,संतुलित प्रकार से खबरों को देता है।खबर का सन्तुलन किसी भी खबर में बहुत जरूरी है,एबीपी न्यूज़ पोर्टल में सन्तुलित खबर देने का भी गुण है।हालांकि हर न्यूज़ चैनल का अपना एजेंडा सेटिंग होता है। इस पोर्टल में भी खबरों में एजेंडा सेटिंग होती है।पर इसकी संख्या बहुत ही कम है।ज्यादातर निष्पक्ष खबरें ही आती हैं।





ऑनलाइन प्रचार-


  • एबीपी न्यूज़ पोर्टल की वेबसाइट पर आने वाले एड आपको परेशान कर सकते हैं। किसी भी समाचार देने वाली वेबसाइट मैं खबर देना प्रमुखता होनी चाहिए लेकिन अब क्योंकि समय बदल चुका है, प्राथमिकताएं बदल चुकी है।इसीलिए समाचार पत्रों का मुख्य मकसद लोगों को खबर देने से ज्यादा मुनाफा कमाना होता है।1991 में उदारीकरण के आने के बाद जब भारत एक बाजार बन गया तब पत्रकारिता पैशन से प्रोफेशन बन गई। एबीपी न्यूज़ भी इसी चपेट में आ गया है।खास तौर पर जब बात इसकी वेबसाइट की की जाए।एबीपी न्यूज़ पोर्टल ही सबसे पहले आपको ऐड दिखाई देंगे,उसके बाद खबरों का सिलसिला शुरू होगा। अब क्योंकि मीडिया कॉरपोरेट घरानों के हाथ में आ गई है तो निश्चित तौर पर एक मकसद मुनाफा कमाना है तो ऐड के आने को गलत भी नहीं कहा जा सकता। सांत्वना इस बात पर दी जा सकती है कि बाकी न्यूज़ वेबसाइट से कम एड एबीपी न्यूज़ पोर्टल में आते हैं।अगर आपको पूरी वेबसाइट पर 2 से 3 एड दिख रहे हैं तो आज के इस दौर में यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। इतने एड लगभग हर समाचार पत्र की वेबसाइट में पाए जाते हैं। ऑनलाइन प्रचार के आधार पर तो जनसत्ता की आलोचना नहीं की जा सकती।






निष्कर्ष-

आज के इस इंटरनेट युग में हर समाचार पत्र डिजिटल हो रहा है। उसी रेस में एबीपी न्यूज़ की अपनी अलग पहचान है हालांकि एबीपी न्यूज़ पोर्टल बेहतरीन है और भी बेहतरीन होने की गुंजाइश भी हैं ।प्रस्तुतीकरण के लिहाज से,भाषा के लिहाज से,सोर्स के लिहाज से एबीपी न्यूज़ पोर्टल  लोगों को बहुत जल्दी और आसान शब्दों में खबर उपलब्ध करा देता है। यह इसकी खास बात है।हम कह सकते हैं कि एबीपी न्यूज़ पोर्टल पाठक संख्या अभी और बढ़ेगी और यह नए कीर्तिमान हासिल करेगा।



शिवानी
हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यम
Second year
2310/17




गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

तलब लाइक्स की

यार !!!
दो घंटे हो गए इस फोटो पर इतने कम लाइक्स क्यों ?
मुझे तो यह फोटो बहुत पसंद है।
यार सब ने लाइक कर दिया पर उसने लाइक क्यों नहीं किया क्या यह फोटो ठीक नहीं थी ?
लत लाइक्स की 
शरीर में जब कोई तत्व खत्म हो जाता है तो शरीर  उसे वापस माँगता है। लेकिन जब शरीर को उस तत्व की आदत या लत लग जाती है तो तो शरीर उसे बार-बार मांगता है और उसे पाने के लिए तड़पता हैं।
तलब 
लत 
लत सिगरेट , दारू , चाय , चरस ,गांजा या ड्रग्स की
यह सब चीजें तो आम हैं और घिसी - पीटी है क्योंकि इन सब की आदत हर किसी को नहीं लगती पर एक ऐसी चीज है जिसकी आदत हम सबको लग गई है और इसके बारे में हमें नहीं पता और वो है है किसी की अटेंशन पाने की लत फेसबुक पर किसी के लाइक्स पाने की लत जो हम सबको लगी हुई है जब हम फेसबुक पर स्टोरी डालते हैं तो उसके बाद फ़ोन को साइड में रखते हैं ???
नहीं 
हम हर 10 मिनट में फोन चेक करते हैं किस-किसने लाइक, कमेंट करा है 
इन सब से भी अलग यह देखना कि जिस की अटेंशन पाने के लिए यह फोटो डाली है क्या उस खास इंसान ने लाइक किया? 
अगर लाइक नहीं किया तो क्यों नहीं किया ?
जब तक उस खास शख्स का लव या लाइक उस पोस्ट पर  नहीं मिलता तब तक फोन चेक करते रहना ।
इन सब में दो महत्वपूर्ण बात सामने आती है
एक तो समय बर्बाद होता है और दूसरा हमें लोगों से अप्रूवल लेनी की लत लग जाती है।
फेसबुक पर हर बार ज्यादा लाइक मिले ये संभव नही हैं। तो इसका ईलाज क्या है ? 
फेसबुक बंद कर दी जाए ?
ये कर पाना मुश्किल है क्योंकि इतनी जल्दी इस आदत से छुटकारा नही मिल सकता क्योंकि फेसबुक का नशा सिगरेट शराब से कम खतरनाक नहीं है क्योंकि एक बार लग जाए तो इंसान की रातों की नींद उड़ जाती है। लाइक्स के आगे उसे भूख- प्यास नजर नहीं आती है ना ही काम में मन लगता है दूसरों को घूमता-फिरता , पार्टी करता , महंगे कपड़े खरीदते व्यक्तिगत जीवन में असंतोष का भाव पैदा होने लगता है ।
सोशल मीडिया की लत से उबरने के लिए कुछ उपाय है।
*तुलना से बचें
फेसबुक की दुनिया में चल रही हलचल को अपनी भावनाओं पर भी हावी ना होने दें । न हीं दूसरे की खुशियों से तुलना करें ये ना भूले कि वक्त बीतने के साथ घूमने फिरने और अपनों के साथ जश्न मनाने की मौके हर किसी के जीवन में आते हैं।
*कल्पना में ना जिएं 
प्यार जताने और सामने वाले की अहमियत दर्शाने का हर इंसान का अलग तरीका होता है इसलिए फेसबुक पर कोई जब अपने पार्टनर के साथ महंगे तोहफे , सरप्राइज डिनर डेट, मिलने की बात करें तो खुद के पार्टनर से कभी ऐसी उम्मीद ना करें ।
*फोन फ्री जोन निर्धारित करें
बैडरूम और लिविंग रूम काम की व्यवस्था से बाहर निकल कर परिवार के साथ खुशनुमा पल बिताने का मौका देते हैं।  इसलिए फोन फ्री जोन बनाने की कोशिश करें । डायनिंग रूम में कभी भी फोन का इस्तेमाल ना करें और इस्तेमाल कम से कम करें ताकि घर वालों के साथ खाना खाने का भरपूर लो तो उठाया जा सके। फोन के इस्तेमाल का समय निर्धारित कर ले 
*ऑफलाइन साथ पर जोर दें
रिश्ते खुशियों की चाबी होते हैं हालांकि अपनों से जुड़ाव सिर्फ ऑनलाइन दुनिया तक सीमित नहीं रहना चाहिए समय-समय पर मिलने और फोन पर बात करने से दिल का रिश्ता मजबूत बनाने की कोशिश होनी चाहिए । 

-35 करोड़ लोग दुनिया में फेसबुक एडिक्शन से ग्रसित हैं।

- 03 करोड़ सिर्फ हॉस्टिंग पर ही खर्च करता है फेसबुक।

- 06 लाख के करीब हैकर्स अटैक होते हैं रोजाना फेसबुक पर
स्मार्टफोन ने हमारी जिंदगी भले ही आसान कर दी हो , लेकिन इसकी जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ने मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं। उनमे सबसे बड़ा कारण फेसबुक सोशल साइट हैं।
फेसबुक हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। चाहे स्कूल-कॉलेज स्टूडेंट्स हों या फिर प्रोफेशनल्स, हर कोई इस सोशल नेटविर्कंग साइट पर है। कई युवा तो अपना ज्यादातर समय फेसबुक पर ही बिताते हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी स्टेटस अपडेट करते हैं, फोटोग्राफ अपलोड करते हैं और काउंट करते रहते हैं कि उन्हें कितने लाइक मिले। उनका यही एडिक्शन उन्हें मानसिक रूप से बीमार बना रहा है।  फेसबुक एक-दूसरे से जुड़े रहने का अच्छा माध्यम है। यह नेटवर्किंग का भी अच्छा जरिया है, लेकिन इसका उपयोग एक लिमिट तक ही अच्छा रहता है। आजकल यंगस्टर्स में इसकी एडिक्शन बढ़ गई है।
वह हर दूसरे मिनट ये चेक करते हैं कि उन्होंने जो फोटो या स्टेटस पोस्ट किया था, उसे कितने लोगों ने लाइक किया या कमेंट किया। उनके दिमाग में यही सब घूमता रहता है। कई लोग तो 14-15 घंटे फेसबुक पर एक्टिव रहते हैं। 
उन्हें चाहिए कि अपनी टाइमिंग को कम करें, ताकि वह दूसरी चीजों पर भी फोकस कर सकें।

शिवानी त्यागी



मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

सिसकती हुई बेटियों की धड़कन

धड़कन तेज़ - सी हो जाती है यह सोच कर कि घर से बाहर निकलू कैसे, और कैसे उन नन्हे कदमों को घर की दहलीज लांघने दूं ? जहाँ देश में पग-पग पर हवस के शिकारी बैठे हैं। जी दिल सहम सा गया है इस घटना को सुनकर कि
    एक आठ साल की बच्ची जिसने अभी दुनिया को ढंग से देखा भी नहीं था ,उस को गुमराह कर उसका अपहरण किया गया और मंदिर में ले जाकर उसको नशीली दवाई दी गई ताकि वो शोर न कर सकें और अपने होश खो दें ।अलग-अलग लोगों द्वारा उस नन्ही सी जान का बारी-बारी रेप किया गया । उसे 8 दिन कठुआ के मंदिर में हैवानियत का शिकार बनाया गया और फिर बाद में उसके सिर पर दो बार पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी गई और जंगल में फेंक दिया गया। जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने जब तीन लोगों को इस गुनाह में गिरफ्तार किया तो वहाँ के वकीलों ने भारत बंद का ऐलान कर दिया। पुलिस को चार्जशीट फाइल करने के लिए रोका गया और स्थानीय नेताओं ने इसे हिंदू - मुस्लिम का रंग दे कर बढ़ावा दे दिया ।
अब एक सवाल उन लोगों से है जो इन दरिंदों का समर्थन कर रहे हैं अगर ये हैवानियत आपके साथ हुई होती और आप को मार कर कचरे की तरह फेंक दिया जाता । वैसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता क्योंकि उसके लिए इंसानियत चाहिए जो कि उन  दरिंदो में है नहीं;  यदि  होती तो वे उनका समर्थन ना करते और उस लड़की के लिए आवाज़ उठाते, जिन्होंने इस दुष्कर्म को अंजाम दिया लेकिन जब इंसानियत ही नहीं है तो फर्क भी नहीं पड़ेगा जिन लोगों ने किया वह तो गुनेहगार है ही पर उससे बड़े गुनहगार वह है जिन्होंने इसका समर्थन किया उन दरिंदों को बचाने का प्रयास किया। सबसे बड़े गुनहगार वो है है जो इस घटना को जानने के बाद भी कुछ ना करने वाले आखिर में बस इतना ही उन दरिंदों ने रेप किया है ,बलात्कार किया है ,दुष्कर्म किया है और उन्होंने कत्ल किया है। उसमें हिंदू-मुस्लिम का ढ़ोल पीटना बंद करें। एक 8 साल की बच्ची की मौत पर राजनीति करना  बंद करें । यह एक धर्म, एक कौम की बात नहीं बल्कि यह बात मर चुकी इंसानियत की है ।जहाँ हर एक घंटे में चार लड़कियों के साथ दुष्कर्म होता है वहाँ हम सोच सकते है कि लोगो की सोच किितनी गिर चुकी हैं।
  " बेेटी बचाओ
   बेेटी पढाओं "
का नारा खोखला नज़र आता हैं
     अरे पहले बेटी बचे तो इन हैवानो से !!

शिवानी त्यागी

शुक्रवार, 30 मार्च 2018

पत्रकारिता की स्वतंत्रता

आज इंटरनेट का युग आ गया हैं। बहुत ही कम समय मे भले ही इंटरनेट ने अपनी खास जगह बना ली हो, लेकिन आज भी अगर लोगो को बेसब्री से किसी का इंतज़ार रहता है तो वह है - समाचार पत्र ।हर रोज की घटनाओं का लेखा-जोखा पत्रकारों के पास रहता हैं। घटनाओ को कैसे वह प्रस्तुत करते है ,लोगो को जोड़ते है आदि सब पत्रकारिता कहलाता हैं। पत्रकारिता अभिव्यक्ति की कला हैं। आज जमाना फैक्स, मॉडम से कंप्यूटर तक आ पहुँचा हैं तो पत्रकारिता करने का ढंग भी आधुनिक हो चला हैं। आज रिकॉर्ड करके समाचार लिख दिए जाते हैं । आज पत्रकारिता समाचार -पत्रो तक ही सीमित नही हैं। इसने टेलीविजन जगत के न्यूज़ चैनलों, दूरदर्शन, रेडियो आदि को भी शामिल कर लिया हैं।पत्रकारिता एक समाज सेवा है । पत्रकारिता का महत्व जानते हुए सरकार ने कई सरकारी पत्रकारिता प्रशिक्षण केंद्र खोल दिए हैं।इन से प्रशिक्षण प्राप्त कर के विद्यार्थी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, फ़िल्म विभाग आदि में प्रवेश पा सकते हैं। पत्रकारिता का सीधा संबंध जनता से होता हैं। पत्रकारिता की स्वतंत्रता जहाँ लोकतंत्र का हथियार बन कर  उभरी है , वही इसकी स्वतंत्रता का दुरुप्रयोग भी होता रहा हैं। आज पत्रकारिता कुछ जगह बिक जाती हैं। पत्रकारिता पर जन - सेवा से अधिक निजी स्वार्थ भारी पड़ते दिख रहे हैं।

पत्रकारिता बुलंद ,
प्रचंड है।
शिवानी त्यागी

गुरुवार, 29 मार्च 2018

बोझ की मार

आज शिक्षा का स्तर दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं।उसी तरह स्कूल बैग का बोझ भी बढ़ रहा हैं। छोटे -छोटे बच्चे रोज अपनी क्षमता से ज्यादा भारी बैग ले जाने के लिए विवश हैं। शिक्षा जो कि सभी के लिए जरूरी हैं। वही भारतीय शिक्षा प्रणाली मे नयापन होने की आवश्यकता है।भारत में कानून तो बना है कि सी०बी०एस०ई० के अनुसार दूसरी कक्षा तक के बच्चो के बैग स्कूल मे ही रहने चाहिए ।लेकिन कोई भी स्कूल इसका पालन करता दिखाई नही देता। बच्चों के स्कूल बैग जो रोज भारी - भरकम  किताबो से भरे रहते हैं वो बच्चों के स्वास्थ्य पर भी सवाल उठाता है ? भारी भरकम बैग के कारण बच्चों की पीठ में दर्द व कमर झुकना एक आम बात सी प्रतीत होती दिखाई देती है। न जाने कितनी बार प्रशासन और स्कूल ने स्कूल बैग के वजन कम करने के वादे करें हैं लेकिन कोई भी इसे सहजता के साथ लेने को तैयार नही हैं। जब नया सत्र शुरू होगा फिर इसे मुद्दा बनाया जाएगा और फिर इस पर राजनीति होगी और बाद मे फिर बच्चे भारी बैग लेकर स्कूल जाएगे।

शिवानी त्यागी

सरकारी स्कूल

  जब भी कभी हम सरकारी स्कूल के बारे में सुनते हैं तो हमारे दिमाग में छवि बनती है टूटे हुए डेस्क , अध्यापक नहीं है , बच्चे इधर - उधर घूम रहे ...