धड़कन तेज़ - सी हो जाती है यह सोच कर कि घर से बाहर निकलू कैसे, और कैसे उन नन्हे कदमों को घर की दहलीज लांघने दूं ? जहाँ देश में पग-पग पर हवस के शिकारी बैठे हैं। जी दिल सहम सा गया है इस घटना को सुनकर कि
एक आठ साल की बच्ची जिसने अभी दुनिया को ढंग से देखा भी नहीं था ,उस को गुमराह कर उसका अपहरण किया गया और मंदिर में ले जाकर उसको नशीली दवाई दी गई ताकि वो शोर न कर सकें और अपने होश खो दें ।अलग-अलग लोगों द्वारा उस नन्ही सी जान का बारी-बारी रेप किया गया । उसे 8 दिन कठुआ के मंदिर में हैवानियत का शिकार बनाया गया और फिर बाद में उसके सिर पर दो बार पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी गई और जंगल में फेंक दिया गया। जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने जब तीन लोगों को इस गुनाह में गिरफ्तार किया तो वहाँ के वकीलों ने भारत बंद का ऐलान कर दिया। पुलिस को चार्जशीट फाइल करने के लिए रोका गया और स्थानीय नेताओं ने इसे हिंदू - मुस्लिम का रंग दे कर बढ़ावा दे दिया ।
अब एक सवाल उन लोगों से है जो इन दरिंदों का समर्थन कर रहे हैं अगर ये हैवानियत आपके साथ हुई होती और आप को मार कर कचरे की तरह फेंक दिया जाता । वैसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता क्योंकि उसके लिए इंसानियत चाहिए जो कि उन दरिंदो में है नहीं; यदि होती तो वे उनका समर्थन ना करते और उस लड़की के लिए आवाज़ उठाते, जिन्होंने इस दुष्कर्म को अंजाम दिया लेकिन जब इंसानियत ही नहीं है तो फर्क भी नहीं पड़ेगा जिन लोगों ने किया वह तो गुनेहगार है ही पर उससे बड़े गुनहगार वह है जिन्होंने इसका समर्थन किया उन दरिंदों को बचाने का प्रयास किया। सबसे बड़े गुनहगार वो है है जो इस घटना को जानने के बाद भी कुछ ना करने वाले आखिर में बस इतना ही उन दरिंदों ने रेप किया है ,बलात्कार किया है ,दुष्कर्म किया है और उन्होंने कत्ल किया है। उसमें हिंदू-मुस्लिम का ढ़ोल पीटना बंद करें। एक 8 साल की बच्ची की मौत पर राजनीति करना बंद करें । यह एक धर्म, एक कौम की बात नहीं बल्कि यह बात मर चुकी इंसानियत की है ।जहाँ हर एक घंटे में चार लड़कियों के साथ दुष्कर्म होता है वहाँ हम सोच सकते है कि लोगो की सोच किितनी गिर चुकी हैं।
" बेेटी बचाओ
बेेटी पढाओं "
का नारा खोखला नज़र आता हैं
अरे पहले बेटी बचे तो इन हैवानो से !!
शिवानी त्यागी
एक आठ साल की बच्ची जिसने अभी दुनिया को ढंग से देखा भी नहीं था ,उस को गुमराह कर उसका अपहरण किया गया और मंदिर में ले जाकर उसको नशीली दवाई दी गई ताकि वो शोर न कर सकें और अपने होश खो दें ।अलग-अलग लोगों द्वारा उस नन्ही सी जान का बारी-बारी रेप किया गया । उसे 8 दिन कठुआ के मंदिर में हैवानियत का शिकार बनाया गया और फिर बाद में उसके सिर पर दो बार पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी गई और जंगल में फेंक दिया गया। जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने जब तीन लोगों को इस गुनाह में गिरफ्तार किया तो वहाँ के वकीलों ने भारत बंद का ऐलान कर दिया। पुलिस को चार्जशीट फाइल करने के लिए रोका गया और स्थानीय नेताओं ने इसे हिंदू - मुस्लिम का रंग दे कर बढ़ावा दे दिया ।
अब एक सवाल उन लोगों से है जो इन दरिंदों का समर्थन कर रहे हैं अगर ये हैवानियत आपके साथ हुई होती और आप को मार कर कचरे की तरह फेंक दिया जाता । वैसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता क्योंकि उसके लिए इंसानियत चाहिए जो कि उन दरिंदो में है नहीं; यदि होती तो वे उनका समर्थन ना करते और उस लड़की के लिए आवाज़ उठाते, जिन्होंने इस दुष्कर्म को अंजाम दिया लेकिन जब इंसानियत ही नहीं है तो फर्क भी नहीं पड़ेगा जिन लोगों ने किया वह तो गुनेहगार है ही पर उससे बड़े गुनहगार वह है जिन्होंने इसका समर्थन किया उन दरिंदों को बचाने का प्रयास किया। सबसे बड़े गुनहगार वो है है जो इस घटना को जानने के बाद भी कुछ ना करने वाले आखिर में बस इतना ही उन दरिंदों ने रेप किया है ,बलात्कार किया है ,दुष्कर्म किया है और उन्होंने कत्ल किया है। उसमें हिंदू-मुस्लिम का ढ़ोल पीटना बंद करें। एक 8 साल की बच्ची की मौत पर राजनीति करना बंद करें । यह एक धर्म, एक कौम की बात नहीं बल्कि यह बात मर चुकी इंसानियत की है ।जहाँ हर एक घंटे में चार लड़कियों के साथ दुष्कर्म होता है वहाँ हम सोच सकते है कि लोगो की सोच किितनी गिर चुकी हैं।
" बेेटी बचाओ
बेेटी पढाओं "
का नारा खोखला नज़र आता हैं
अरे पहले बेटी बचे तो इन हैवानो से !!
शिवानी त्यागी